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मकान बनाने का नक्शा अब आप भी अपने घर का नक्शा स्वयं बना सकते है जानिए कैसे ?

आज हम यह ब्लॉग पब्लिश कर रहे है जिसमें कि यह बताया गया है कि किस तरह से एक घर का प्लानिंग किया जाता है जो कि गृहवासियों के लिए अनुकूल हो और वास्तु के आधार पर हो |
आज हम 30 फीट x 50 फीट ईस्ट फेसिंग प्लाट मैं G+1 का प्लानिंग करेंगे जिसमें 4 बेडरूम (अटैच्ड टॉयलेट के साथ), किचन (किचन के साथ वाश एरिया एवं स्टोर रूम), पूजा घर, ड्राइंग रूम, डाइनिंग एरिया, एक कॉमन टॉयलेट, पार्किंग, और बाहर एक लॉन भी होगा | तो चलिए शुरू करते हैं |
किसी भी प्लाट की प्लानिंग उस प्लाट की दिशा पर निर्भर करती है एक ही साइज के प्लाट की प्लानिंग 4 दिशाओं के कारण 4 अलग-अलग तरह से होती है क्युकी दिशायें परिवर्तित होने से वास्तु भी उसी आधार पर परिवर्तित हो जाता है | उदहारण के लिए अगर हम पूर्व दिशा वाले प्लाट की प्लानिंग कर रहे है तो बाकी 3 दिशाएं पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण दिशा वाले प्लाट की प्लानिंग अलग तरह से होगी |
आज जो प्लान हम आपको बताने जा रहे हैं वह पूरा वास्तु के हिसाब से नहीं है वह दरअसल किसी क्लाइंट की डिमांड के आधार पर बनाया गया है | इसको देखने के बाद आप किसी भी दिशा के प्लाट की प्लानिंग अच्छे से कर सकेंगे इसमें आप वास्तु पूरी तरह से तो नहीं सीखेंगे पर एक घर की प्लानिंग के लिए क्या जरुरी है वो आप जरूर सीख पाएंगे |
 
आगे चलकर हम इसी प्लान का एलिवेशन एवं इंटीरियर डेकोरेशन करना भी सीखेंगे |
सबसे पहले आप ऊपर दी गयी प्लानिंग को अच्छे से देख लीजिये फिर नीचे दी गयी जानकारी को अच्छे से पढ़िए हम वादा करते हैं इसके बाद आपको किसी भी घर की प्लानिंग करते समय कुछ भी देखने और पढने जरुरत नहीं पड़ेगी | 
ग्राउंड फ्लोर की प्लानिंग 
 
1) किचन - किसी भी घर की प्लानिंग करते समय सबसे पहले किचन की लोकेशन तय करना बहुत जरुरी होता है वास्तु के आधार पर दक्षिण-पूर्व पहला विकल्प होता है किचन के लिए और उत्तर-पश्चिम दूसरा विकल्प होता है | दोनों ही विकल्प किचन के मान से सही माने जाते है बस हमें यह देखना होता है कि गृहवासियों की अनुकूलता के हिसाब से कौन सा विकल्प सही है | हम इस प्लानिंग मैं किचन को उत्तर-पश्चिम दिशा मैं बना रहे है जिसको बनाने का कारण यह है कि अगर हम किचन दक्षिण-पूर्व मैं बनायेंगे तो हमें फ्रंट मैं वाश एरिया लेना पड़ेगा जो अच्छा नहीं लगेगा और अगर फ्रंट मैं ना लेते हुए हम बीच मैं कहीं वाश एरिया लेते हैं तो वह जगह ज्यादा खराब होगी | 
 
2) वाश एरिया - वाश एरिया हमेशा किचन के साथ ही होना चाहिए और ऐसी जगह होना चाहिए जहाँ से  हम किसी रूम की खिड़की निकाल सकें या फिर किसी बाथरूम का वेंटिलेशन निकल सकें और अगर दोनों एक साथ निकल सकते है तो और भी अच्छा है | वाश एरिया मुख्य रूप से वर्तन मांजने, कपडे धोने और कपडे सुखाने के उपयोग मैं आता है और दूसरा करण यह भी होता है की यहाँ से हवा और रौशनी का भी प्रवाह होता है जिसके लिए हमें अलग से डक्ट एवं O.T.S. (रौशनी एवं हवा के लिए अलग से दिया जाने वाला स्पेस) बनाने की जरुरत नहीं होती है | ठीक इसी प्रकार से हमारी प्लानिंग मैं भी वाश एरिया किचन के बिलकुल पीछे लगा हुआ है जिसमे से एक रूम की खिड़की और और एक बाथरूम का वेंटिलेशन भी निकाला हुआ है जैसा कि आप प्लानिंग मैं देख सकते हैं |
 
3) स्टोर रूम - स्टोर रूम भी किचन का ही एक हिस्सा होता है जिसके लिए या तो किचन मैं ही कहीं स्पेस दिया जाये या फिर किचन के पास ही कहीं पर बनाया जाये | हमारे द्वारा इसे किचन  के पीछे वाश एरिया मैं बनाया गया है |
 
5) सीडियों की प्लानिंग - सीडियों की प्लानिंग करते समय एक बात बहुत गौर करने वाली होती है कि सीडियां हमेशा घडी की सुई के (clockwise) डायरेक्शन मैं ही घुमनी चाहिए इसका उल्टा वास्तु के हिसाब से गलत माना जाता है | सीडियां हमेशा विषम संख्या मैं होनी चाहिए जैसे कि 17,19,21 | किसी एक सीडी का साइज़ कुछ इस तरह से होना चाहिए - सीडी की चौड़ाई - कम से कम 3', सीडी की ऊचाई (riser) 6", सीडी की गहराई(tread)- 11" | यह एक मिनिमम स्टैण्डर्ड साइज़ होता है बाकि प्लाट के साइज़ के हिसाब से कम ज्यादा कर सकते हैं |
 
 फर्स्ट फ्लोर के लिए सीडियां अगर घर के अन्दर से दे रहे हैं तो उन्हें घर के बीचों-बीच से लेना चाहिए जिसका फायदा यह होता है कि हम फर्स्ट फ्लोर पर बीच मैं लॉबी देकरआस-पास रूम बना सकते है और वो भी किसी प्रकार का गलियारा दिए बिना | गलियारा देने से घर बन्द-बन्द (congested) सा लगता है | उदाहरण के लिए आप प्लानिंग मैं देख सकते है |
 
6) डाइनिंग एरिया - डाइनिंग एरिया किचन के नजदीक होना चाहिए और प्लानिंग करते समय इसे ऐसी जगह बनाना चाहिए जैसे कि सीडियों के नीचे या फिर सीडियों के सामने | इस से सीडियों के सामने या उसके नीचे की जगह का अच्छे से उपयोग हो जाता है और जैसा कि आप देख रहे है कि इस प्लानिंग मैं हम डाइनिंग टेबल को सीडियों के सामने ले रहे हैं जिसका कारण यह है कि सीडियों के नीचे से कॉमन टॉयलेट का दरवाजा आ रहा है |
 
7) ड्राइंग हॉल - ड्राइंग हॉल मुख्य रूप से मेहमानों के लिए बनाया जाता है और मेहमान दो तरह के होते है एक तो घर के अन्दर तक आने वाले और एक जो ड्राइंग हॉल तक आकर मिल कर चले जाते है इन्हीं कारणों से ड्राइंग रूम हमेश घर के एंट्रेंस पर होना चाहिए जब भी कोई घर मैं आये तो घुसते ही ड्राइंग रूम आ जाना चाहिए | कभी भी घर के आखरी मैं ड्राइंग हॉल नहीं होना चाहिए क्युकी ऐसा होने से घर के अन्दर ना जाने वाला व्यक्ति भी पुरे घर से होते हुए ड्राइंग हॉल तक पहुँचता है | और अच्छा होगा कि घर की एंट्री पर एक स्पेस (verandah) दिया जाये जहाँ से एक रास्ता ड्राइंग हॉल मैं जाता हो और एक घर के अन्दर जाता हो जिसका फायदा यह होगा कि घर के अन्दर आने-जाने वाले लोगों से ड्राइंग हॉल मैं बैठे हुए लोग डिस्टर्ब नहीं होंगे जैसा की हमने प्लानिंग मैं दिया हुआ है |

8) कॉमन टॉयलेट - कॉमन टॉयलेट का भी किसी भी घर मैं बहुत महत्त्व होता है यह मुख्यतः आने-जाने वाले व्यक्तियों एवं मेहमानों के लिए बनायी जाती है अगर कॉमन टॉयलेट ना हो तो आने-जाने वाले व्यक्तियों को भी बेडरूम का टॉयलेट उपयोग करने को देना पड़ता है | यह डाइनिंग टेबल पर खाना खाने वालों के लिए भी बहुत जरुरी है क्योकि यह खाना खाने से पहले और बाद मैं हाथ धोने के काम आती है | यह ड्राइंग हॉल एवं डाइनिंग एरिया के पास बनाई जाती है | इसका साइज़ बहुत बड़ा होना जरुरी नहीं है केवल बेसिन और W.C. आ जायें बहुत है | उदहारण के लिए आप प्लानिंग मैं दिए गए कॉमन टॉयलेट की लोकेशन और साइज़ देख सकते हैं |
 
9) पार्किंग - पार्किंग का साइज़ ऐसा होना चाहिए कि कोई भी गाड़ी उसमे आसानी से आ जाये और गाड़ी पार्क करने वाले के मूवमेंट के लिए भी पर्याप्त स्पेस हो | हमारे द्वारा 15'x14' का पार्किंग स्पेस दिया गया है जिसमे की आसानी से कोई भी गाड़ी आ सकती है और गाड़ी चालक के लिए एवं घर की एंट्री के लिए भी पर्याप्त एरिया बच जाता है |

10) ओपन एरिया - ओपन एरिया घर की प्लानिंग मैं इसलिए दिया जाता है जिस से कि घर मैं पर्याप्त उजाला और हवा आती रहे | आप देख सकते हैं की हमारे द्वारा जो ओपन स्पेस दिया गया है वहां से रौशनी के लिए हमने सीडियों पर खिड़की दी हुई है और कॉमन टॉयलेट का वेंटिलेशन भी वहीं पर दिया हुआ है |

11) लॉन - लॉन एक तरीके का ऐसा स्पेस होता है जहाँ पर हम ग्रीनरी करके वहां पर बैठकर न्यूज़ पेपर पढ़ते-पढ़ते कॉफ़ी का आनंद ले सकते हैं, ताजी हवा का आनंद ले सकते है और यह घर के एंट्रेंस को भी  सुन्दर बनाता  है |
 
फर्स्ट फ्लोर की प्लानिंग 


अगर आप ग्राउंड फ्लोर का प्लानिंग कर चुके हैं तो फर्स्ट फ्लोर का प्लानिंग करते समय आपको बहु ज्यादा परेशानी नहीं आने वाली है दरअसल ग्राउंड फ्लोर का प्लानिंग करते समय ही फर्स्ट फ्लोर की बहुत सी चीजें फाइनल हो जाती है | 

सीडियां - सीडियां हमेशा जहाँ से ग्रोउंड फ्लोर से आती है फर्स्ट फ्लोर पर भी उसी जगह पर बनाई जाती है, कभी भी सीडियों की लोकेशन बदलती नहीं है, हाँ अगर आप फर्स्ट फ्लोर से सेकंड फ्लोर के लिए कहीं और से  सीडियां देना चाहते है तो आप लोहे मैं या किसी और चीज़ मैं बनवाकर रख सकते है |

सीडियों के सामने वाली जगह को हमेशा खाली रखने की कोशिश करें हमारा मतलब है की वहां पर कोई रूम या सिविल  मैं कुछ और बनाने की कोशिश ना करें | उस जगह मैं कुछ बेठने के  लिए सोफे आदि रखें या फिर वहां पर छोटा सा मंदिर प्लान करें और दोनों  भी कर सकते है |

 

बेडरूम प्लानिंग - फर्स्ट फ्लोर पर मुख्य रूप से सीडियों की  लॉबी एवं रूम्स दिए जाते है और सभी रूम्स का  रास्ता सीडियों की लॉबी से होता हुआ जाता है | फर्स्ट फ्लोर पर रूम्स बनाने का बहुत ही आसान तरीका है आइये समझते है कैसे ?

1) एक रूम तो जो हमारा ग्राउंड फ्लोर पर मास्टर बेडरूम बना हुआ है उसको  वैसा का वैसा कॉपी कर देंगे | 

2) दूसरा रूम हम किचन के ऊपर वाली जगह पर बनायेंगे और उसका टॉयलेट स्टोर रूम के ऊपर आ जायेगा |

3) तीसरा रूम हम आगे की साइड मैं लेंगे जिसमे ड्रेसिंग एवं टॉयलेट अलग-अलग होंगे और एक बालकनी भी हम आगे की तरफ देंगे |
 

यहाँ हम आपके लिए एक और 30 फीट x 50 फीट नॉर्थ फेसिंग प्लाट के G+1 का प्लानिंग भी शेयर कर रहे हैं | 

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